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आर्य

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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आर्य ^१ वि॰ [सं॰] [स्त्री॰ आर्या]

१. श्रेष्ठ । उत्तम ।

२. बड़ा । पूज्य ।

३. श्रेष्ठ कुल में उत्पन्न । मान्य ।

४. आर्य जाति संबंधी । आर्य जाति का ।

आर्य ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. श्रेष्ठ पुरुष । श्रेष्ठ कुल में उत्पन्न । विशेष—स्वामी, गुरु और सुहद् आदि को संबोधन करने में इस शब्द का व्यवहार करते हैं । छोटे लोग बड़े को जैसे, —स्त्री पति को, छोटा भाई बड़े भाई को, शिष्य गुरु का आर्य या आर्यपुत्र कहकर संबोधित करते हैं । नाटकों में नटी भी सूत्रधार को आर्य या आर्यपुत्र कहती है ।

२. मनुष्यों की एक जाति जिसने संसार में बहुत पहले सभ्यता प्राप्त की थी । विशेष—ये लोग गोरे, सुविभक्तांग और डील के लंबे होते हैं । इनका माथा ऊँचा, बाल घने, नाक उठी और नुकीली होती है । प्राचीन काल में इनका विस्तार मध्य एशिया तथा कैस्पियन सागर से लेकर गंगा यमुना के किनारों तक था । इनका आदिस्थान कोई मध्य एशिया, कोई स्कडिनेविया और कोई उत्तरीय ध्रुव बतलाते हैं । ये लोग खेती करते थे, पशु पालते थे, धातु के हथियार बनाते थे, कपड़ा बुनते थे और रथ आदि पर चलते थे ।

३. सावर्णि मनु का एक पुत्र [को॰] ।

५. बौद्ध धर्म का पालन करनेवाला व्यक्ति [को॰] । यौ॰.—आर्य अष्टांगमार्ग =बौद्ध दर्शन के अनुसार वह मार्ग जिससे निर्वाण या मोक्ष मिलता है । ये आठ हैं-(१) सम्यग्दृष्टि, (२) सम्यक् संकल्पना, (३) सम्यक् वाचा, (४) सम्यक् कर्मणा, (५) सम्यगाजीव, (६) सम्यग्व्यायाम, (७) सम्यक् स्मृति और (८) सम्यक् समाधि । यौ॰.—आर्यक्षेत्र । आर्यपुत्र । आर्यभूमि ।