ईर्षा संज्ञा स्त्री [सं॰] [ वि॰ ईर्षालु, ईर्षित,ईर्षु ] दूसरे की बढ़ती देखकर होनेवाला जलन । डाह । हसद । उ॰—तजु द्वेष ईर्षा द्रोह निंदा देश उन्नति सब चहैं ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ ५१४ ।