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कटु

विक्षनरी से

विशेषण

  1. जिसके स्वाद में कड़वापन हो

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

कटु ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. छह रसों में एक जिसका अनुभव जीभ से होता है । चरपरा । कडुआ । विशेष—इंद्रायन, चिरायता, मिर्च, पीपल, मूली, लहसुन, कपूर आदि का स्वाद कटु कहलाता है ।

२. कड़वाहट । कड़वापन (को॰) ।

३. काव्य में रस के विरुद्ध वर्णों की योजना । चैसे,—श्रृंगार में ट, ठ, ड आदि वर्ण ।

कटु ^२ वि॰

१. कड़वा ।

२. जो मन को न भावे । बुरा लगनेवाला । अनिष्ट । जैसे,—कटु वचन । उ॰—देखहि रात भयानक सपना । जागि करहिं कटु कोटि कल्पना ।—तुलसी (शब्द॰) ।

३. बुरा या उद्धेगजनक ।

कटु चातुर्जातक संज्ञा पुं॰ [सं॰] चार कड़वी वस्तुओं का समूह, अर्थात् इलायची, तज, तेजपात और मिर्च ।