कटु
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विशेषण
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
कटु ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. छह रसों में एक जिसका अनुभव जीभ से होता है । चरपरा । कडुआ । विशेष—इंद्रायन, चिरायता, मिर्च, पीपल, मूली, लहसुन, कपूर आदि का स्वाद कटु कहलाता है ।
२. कड़वाहट । कड़वापन (को॰) ।
३. काव्य में रस के विरुद्ध वर्णों की योजना । चैसे,—श्रृंगार में ट, ठ, ड आदि वर्ण ।
कटु ^२ वि॰
१. कड़वा ।
२. जो मन को न भावे । बुरा लगनेवाला । अनिष्ट । जैसे,—कटु वचन । उ॰—देखहि रात भयानक सपना । जागि करहिं कटु कोटि कल्पना ।—तुलसी (शब्द॰) ।
३. बुरा या उद्धेगजनक ।
कटु चातुर्जातक संज्ञा पुं॰ [सं॰] चार कड़वी वस्तुओं का समूह, अर्थात् इलायची, तज, तेजपात और मिर्च ।