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काल

विक्षनरी से

प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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काल ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. समय । वक्त । वह संबंधसत्ता जिसके द्वारा, भूत, भविष्य, वर्तमान आदि की प्रतीति होती है और एक घटना दूसरी से आगे, पीछे आदि समझी जाती है । विशेष—वैशेषिक में काल एक नित्य द्रव्य माना गया है और 'आगे' 'पीछे' 'साथ', धीरे,' जल्दी आदि उसके लिंग बतलाए गए हैं । संख्या, परिमाण, पृथकत्व, संयोग और विभाग उसके गुण कहे गए हैं । 'पर', 'अपर' आदि प्रत्ययों का भाव सर्वत्र सब प्रणियों में समान होता है, और इस परत्व, अपरत्व की उत्पत्ति में असमवयि कारण से से काल का संयोग होता है । इससे काल सबका कारण तथा व्यापक और एक मान गया है । उसकी अनेकता की प्रतीति केवल उपाधि से होती है । कोई कोई नैयायिक काल के 'खंडकाल' और 'महाकाल' दो भेद करते हैं । पदार्थों (ग्रहों आदि) की गति आदि से क्षण दंड, मास, वर्ष आदि का जिसमें व्यवहार होता है, वह खंडकाल है । और उसी का दूसरा नाम कालोपाधि है । जैन शास्त्रकार काल को एक अरूपी द्रव्य मानते हैं और उसकी उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी दो गतियाँ कहते है । पाश्चात्य दार्शिनकों में लेबनीज काल को संबंधी की अव्यक्त भावना कहता है । कांट का मत है कि काल कोई स्वतंत्र बाह्य पदार्थ नहीं है, वह चित्तप्रयुक्त अवस्था है जो चित्त के अधीन है, वस्तु के अधीन नहीं । देश और काल वास्तव में मानसिक अवस्थाएँ हैं जिनसे संबद्ध सब कुछ देख पड़ता है । मुहा॰—काल काटना = समय बिताना । कालक्षेप करना = समय काटना । दिन बिताना । काल पाकर = (१) कुछ दिनों के पीछे । कुछ काल बीतने पर । जैसे,—काल पाकर उसका रंग बदल जायगा । (२) मरकर । मरने के बाद । उ॰—काल पाइ मुनि सुनु सोइराजा । भएउ निसाचर सहित समाजा ।—मानस, १ ।१७६ ।

३. अंतिम काल । नाश का समय । अंत । मृत्यु । क्रि॰ प्र॰—आना ।

३. यमराज । यमदुत । उ॰—प्रभु प्रताप ते कालहिं खाई ।— तुलसी (शब्द॰) ।

४. नियत ऋतु । नियत समय । जैसे,—ये पेड़ अपने काल पर फूलेंगे ।

४. उपयुक्त समय । अवसर । मौका ।

६. अकाल । महँगी । दुर्भिक्ष । कहत । क्रि॰ प्र॰—पड़ना ।

७. ज्योतिष के अनुसार एक योग जो दिन के अनुसार घूमता है और यात्रा में अशुभ माना जाता है ।

८. कसौंजा ।

९. काल साँप ।

१०. लोहा ।

१२. शनि ।

१२. [स्त्री॰ काली] शिव का नाम । महाकाल ।

१३. काला या गहरा नीला रंग (को॰) ।

१४. प्रारब्ध (को॰) ।

१५. आँख का काला हिस्सा (को॰) ।

१६. कोयल (को॰) ।

१७. एक सुंगंधयुक्त पदार्थ । अगुरु (को॰) ।

१८. कलवार । मद्याविक्रेता (को॰) ।

१९. मौसम । ऋतु (को॰) ।

२०. भाग्य । नियति (को॰) ।

२१. भाग । विभाग (को॰) ।

२२. शिव का एक शत्रु (को॰) ।

२३. 'म' अक्षर की गुह्य संज्ञा (को॰) ।

काल ^२ वि॰ काला । काले रंग का । यौ॰—कालकोठरी ।

काल पु ^३ क्रि॰ वि॰ [हिं॰ काल] दे॰ 'कल' ।