सामग्री पर जाएँ

कीड़ा

विक्षनरी से

प्रकाशितकोशों से अर्थ

[सम्पादन]

शब्दसागर

[सम्पादन]

कीड़ा संज्ञा पुं॰ [सं॰ कीट, , प्रा॰ कीड]

१. कीट । छोटा उड़ने या रेंगनेवाला जंतु । मकोड़ा । जैसे, कनखजूरा, बिच्छू, भिड़ आदि । यौ॰—कीड़ा फतिंगा । कीड़ा मकोड़ा ।

२. कृमि । सूक्ष्म कीट । मुहा॰—कीड़े काटना=चुनचुनाहट होना । बैचैनी होना । चंचलता होना । जी उकताना । जैसे, दम भर बैठे नहीं कि कीड़े काटने लगे । कीड़े पड़ना=(१) (वस्तु में) कीड़े उत्पन्न होना । जैसे,—घाव में कीड़े पड़ना । पानी में कीड़े पड़ना (२) दोष होना । ऐब होना । जैसे—इसमें क्या कीड़ें पड़े हैं जो नहीं लेते । कीड़े लगना=बाहर से आकर कीड़ों का किसी वस्तु को खाने या नष्ट करने के लिये घर करना । जैसे—कपड़े कागज आदि में कीड़े लगना ।

३. साँप ।

४. जूँ । खटमल आदि ।

५. थोड़े दिन का बच्चा ।