कोक
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कोक ^१ संज्ञा॰ पुं॰ [सं॰] [स्त्री॰ कोकी] चकवा पक्षी । चक्रवाक । सुरखाब । यौ॰— कोकबंधु=सूर्य ।
२. एक पंडित का नाम जो रतिशात्र का आचार्य माना जाता है । इसका पूरा नाम कोकदेव कहा जाता है । यौ॰—पु कोक आगम । कोककला । कोकशास्त्र् ।
३. संगीत का छठा भेद जिसमें नायिका, नायक , रस, रसाभास, अलंकार, उद्दीपन, आलंबन, समय और समाजादि का ज्ञान आवश्यक होता है ।
४. विष्णु ।
५. भोड़िया । यौ॰—कोकमुख । कोकाक्ष ।
६. मेंढक । यौ॰— कोकाट= लोमड़ी ।
७. जंगली खजूर ।
८. कोयल । पिक (को॰) ।
९. छिपकली या गिरगिट (को॰) ।
१०. कामशास्त्र । रति कला । उ॰— तरुनाइयै कोक पढ़ै सुघराई सिखावति है रसिकाई रसै । —घनानंद, पृ॰, २८ ।
कोक ^२ संज्ञा स्त्री॰ [फा॰] कच्ची सिलाई ।