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गर्द

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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गर्द ^१ वि॰ [सं॰] गरजने या चिल्लानेवाला [को॰] ।

गर्द ^२ संज्ञा स्त्री॰ [फा़॰] धूल । राख । खाक । क्रि॰ प्र॰—उठाना ।—उड़ाना । मुहा॰—गर्द उठना या उड़ना = हवा के साथ धूल का फैलना । गर्द उठाना— = दरी की बुनावट में नीचेवाले डंडे के तागों को बैठा चुकने के बाद, रस्सी के दोनों छोरों को खडी लकड़ी में बाँधकर ऊपर के डंडे के तागों को बेठाना या जमाना । गर् द उड़ाना = नष्ट या चौपट करना । धूल में मिलाना । बरबाद करना । जैसे,—सेना ने नगर की गर्द उड़ा दी । गर्द झड़ना = ऐसी मार खाना जिसकी परवाह न हो । गर्द फाँकना = व्यर्थ घूमना । आवारा फिरना । गर्द को न पहुँचना या न लगना = समता न कर सकना । गर्द होना = (१) तुच्छ होना । समता के योग्य न होना । हेच होना । जैसे;—इसके सामने सब गर्द है । (२) नष्ट होना । चौपट होना । यौ॰—गर्द गुबार = धूल मिट्टी । गरदा । क्रि॰ प्र॰—उठना ।—उड़ना ।—निकलना ।—बैठना ।— जमना ।

गर्द ^३ वि॰ [फा़॰] घूमने या भटकनेवाला । विशेष—यह केवल समस्त रूप में प्राप्त है । जैसे;—आवारागर्द ।