गहन
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]गहन ^१ वि॰ [सं॰]
१. गंभिर । गहरा । अथाह । जैसे,—गहन जलाशय ।
२. दुर्गम । घना । दुर्भेद्य । जैसे,—गहन वन, गहन पर्वत ।
३. कठिन । दुरूह । जेसे,—गहन विषय ।
४. निविड़ । जेसे,—गहन अंधकार ।
गहन ^२ संज्ञा पुं॰
१. गहराई । थाह ।
२. दुर्गम स्थान । जेसे, झाडी, गड्ढा, जंगल, अंधकारपूर्ण स्थान ।
३. वन या कानन में गुप्त स्थान । कुंज । निकुंज । उ॰—गहन उजारि सुत मारि तब, कुशल गये कीस वर बैरिखा को ।—तुलसी (शब्द॰) ।
४. दुःख । कष्ट ।
५. जल । सलिल ।
६. गुफा । कंदरा (को॰) ।
७. छिपने या लुकने की जगह (को॰) ।
८. एक आभूषण (को॰) ।
९. इश्वर । परमात्मा (को॰) ।
गहन ^३ † संज्ञा पुं॰ [सं॰ ग्रहण, प्रा॰ गहण]
१. दे॰ 'ग्रहण' । उ॰— गहन लाग देखु पुनिम क चंद ।—विद्यापति, पृ॰ ५४ ।
२. कलंक । दोष ।
३. दुःख । कष्ट । विपत्ति ।
४. बंधक । रेहन ।
गहन ^४ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ गहना = पकड़ना]
१. पकड़ । पकड़ने का भाव ।
२. हठ । जिद । अड़ । टेक । उ॰—एकै गहन धरी उन हठ करि मेटि वेद विधि नीति । गोपवेश निज सूरश्याम ले रही विश्ववर जीति ।—सूर (शब्द॰) ।
३. जोते हुए खेत से घास निकालने का एक औजार । पाँची । पाँजी । विशेष—इसमें दो ढाई हाथ लंबी लकड़ी के नीचे की ओर पतली नुकीली खूँटिया गड़ी रहती हैं और ऊपर एक सीधी लकड़ी जड़ी रहती है जिसमें मुठिया लगी रहती है । खेत जोते जाने पर इसे बैलों के जुआठे में बाँधकर खेत में फिराते हैं और ऊपर से मुठिया से दबाए रहते हैं ।
गहन ^४ † संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ गाहना] वह हलकी जुताई जो पानी बरसने पर धान के बोए हुए खेतों में की जाती है । बिदहनी ।