गिरना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]गिरना क्रि॰ अ॰ [सं॰ गलन = गिरना]
१. आधार या अवरोध के अभाव के कारण किसी चीज का एकदम ऊपर से नीचे आ जाना । रोक या सहारा न रहने के कारण किसी चिज का अपने स्थान से नीचे आ रहना । जैसे,—छत पर से गिरना हाथ में से गिरना, कुएँ में गिरना, आँख से आँसू गिरना ओस, पानी या ओले गिरना । संयो॰ क्रि॰—जाना ।—पड़ना ।
२. किसी चीज का खड़ा न रह सकना या जमीन पर पड़ जाना । जैसे—मकान का गिरना, घोड़े का गिरना, पेड़ का गिरना । यौ॰— गिरना पड़ना । जैसे;—वह गिरते पड़ते किसी प्रकार घर पहुँचा ।
३. अवनति या घटाव पर होना । ह्रासोन्मुख होना । जैसे,— किसी जाति या देश का गिरना ।
४. किसी जलधारा का किसी बड़े जलाशय में जा मिलना । जैसे,— नदी का समुद्र में गिरना, मोरी का कुंड़ में गिरना ।
५. शक्ति, स्थिति, प्रतिष्ठा या मूल्य आदि का कम या मंदा होना । जैसे—किसी मनुष्य का (किसी की दुष्ट या समाज में) गिर जाना, बीमारी के कारण शरीर का गिर जाना, भाव या बाजरा गिरना । यौ॰—गिरे दिन = दरिद्रता या दुर्दशा का समय ।
६. कियी पदार्थ की लेने के लिये बहुत चाव या तेजी से आगे बढ़ना । टूटना । जैसे,—कबूतर पर बाज गिरना, माल पर खरीदनेवालों का गिरना, य़ात्रियों पर ड़ाकुओं का गिरना ।
७. जीर्ण या दुर्बल होने अथवा इसी प्रकार के अन्य कारणों से किसी चीज का अपने स्थान से हट, निकल या झड़ जाना ।