घन
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]घन ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. मेघ । बादल । उ॰—बरषा ऋतु आई हरि न मिले माई । गगन गरजिघन दइ दामिनी दिखाई ।—सूर॰ १० । ३३१७ ।
२. लोहारों का बड़ा हथौड़ा जिससे वे गरम लोहा पीटते हैं । उ॰—चोट अनेक परै घन की सीर लोह बधै कछु पावक नाहीं ।—सुंदर॰ ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰, ६०० । क्रि॰ प्र॰—चलाना । यौ॰—घन की चोट = बड़ा भारी आघात ।
३. लोह । (डिं॰) ।
४. मुख । (डिं॰) ।
५. समूह । झुंड ।
६. कपूर । उ॰—न जक धरत हरि हिय धरे नाजुक कमला बाल । भजत भार भयभीत ह्वै घन चंदन वन माल ।— बिहारी (शब्द॰) ।
७. घंटा । घड़ियाल ।
८. वह गुणनफल जो किसी अंक को उसी अंक से दो बार गुणा करने से लब्ध हो । जैसे,—३*३*३=२७ अर्थात् २७ तीन का घन है ।—(गणित) ।
९. लंबाई ,चौड़ई और मोटाई (ऊँचाई या गहराई) तीनों का विस्तार । उ॰—धन दृढ़ धन विस्तार पुनि घनजेहिं गढ़त लोहार । घन अंबुद घन सघन धन घनरुचि नंदकुमार । —नंददास (शब्द॰) ।
१०. एक सुगंधित घास
११. अभ्रक । अवरक ।
१२. कफ । खँखार ।
१३. नुत्य का एक भेद ।
१४. धातु का, ढालकर बनाया हुआ बाजा जो प्राय: ताल देने के काम आता है । जैसे—झाँझ, मँजीरा, करताल इत्यादि ।
१५. वेदमंत्रों के पाठ की एक विधि ।
१६. त्वचा । छाल ।
१७. शरीर । उ॰—कंप छुट्यो घन स्वेद बढ्यो तनु रोम उठयों अँखियाँ भरि आई ।— मतिराम (शब्द॰) ।
घन ^२ वि॰ १ घना । गझिन । मुहा॰—घन का = बहुत घना । जैसे,—घन के बाल, घन का जंगल ।
२. जिसके अणु परस्पर खूब मिले हों । गठा हुआ । ठोसा ।
३. दृढ़ । मजबूत । भारी ।
४. बहुत अधिक । प्रचुर ।ज्यादा ।
५. शुभ । भाग्यशाली (को॰) ।
६. विस्तुत (को॰) ।