घाटी
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]घाटी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ घाट]
१. पर्वतों के बीज की भूमि । पहाड़ों के बीच का मैदान । पर्वतों के बीच का सँकरा मार्ग । दर्रा । उ॰—है आगे परबत की पाटी । विषम पहार अगम सुठि घाटी ।—जायसी (शब्द॰) ।
२. पहाड़ की ढाल । चढ़ाव उतार का पहाड़ी मार्ग । उ॰—चलूँ चलूँ सब कोइ कहैं पहुँचै बिरला कोय । एक कनक इक कामिनी, दुर्गम घाटी दोय ।—कबीर (शब्द॰) ।
३. महसूली वस्तुओं को ले जाने का आज्ञापत्र । रास्ते का कर या महसूल चुकाने का स्वीकारपत्र ।
घाटी ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] गले का पिछला भाग ।
घाटी ^३ वि॰ [हिं॰ घाटि] कम । न्यून । उ॰—कंचन चाहि अधिक कए कएलह काचहुँ तह भेल घाटी ।—विद्यापति, पृ॰ ३९७ ।