जग
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जग ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ जगत्]
१. संसार । विश्व । दुनिया । उ॰— तुलसी या जग आइ के सबसे मिलिए धाय । का जाने केहि भेष में नारायण मिलि जाय ।—तुलसी (शब्द॰) ।
२. संसार के लोग । जनसमुदाय । उ॰—साँच कहौ तो मारन धावै, झूठे जग पतियाना ।—कबीर (शब्द॰) ।
जग ^२पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ यज्ञ, प्रा॰ जग्य, जग्ग] दे॰ 'यज्ञ' । उ॰— सुन्यौ इंद्र मेरौ जग मेटा । यह मदमत्त नंद कौ बेटा । नंद॰ ग्रं॰, पृ॰ १८१ ।
जग पु संज्ञा पुं॰ [हिं॰] दे॰ 'यज्ञ' । उ॰—हण ताड़का निज ठहरां । जिग मांड आरंभ जाहरा ।—रघु॰ रू॰, पृ॰ ६७ ।