जमना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जमना ^१ क्रि॰ अ॰ [सं॰ यमन(=जकड़ना), मि॰ अ॰ जमा]
१. किसी द्रव पदार्थ का ठंढक के कारण समय पाकर अथवा और किसी प्रकार गाढ़ा होना । किसी तरल पदार्थ का ठोस हो जाना । जैसे, पानी से बरफ जमना, दूव से दही जमना ।
२. किसी एक पदार्थ का दूसरे पदार्थ पर दृढ़तापूर्वक बैठना । अच्छी तरह स्थित होना । जैसे, जमीन पर पैर जमना, चौकी पर आसन जमना, बरतन पर मैल जमना, सिर पर पगड़ी या टोपी जमना । मुहा॰—दृष्टि जमना=दृष्टि का स्थिर होकर किसी और लगना । नजर का बहुत देर तक किसी चीज पर ठहरना । निनाह जमना=दे॰ 'दृष्टि जमना' । मन में बात जमना=किसी बात का हृदय पर भली भाँति अंकित होना । किसी बात का मन पर पूरा पूरा प्रभाव पड़ना । रंग जमना=प्रभाव दृढ़ होना । पूरा अधिकार होना ।
३. एकत्र होना । इकठ्ठा होना । जमा होना । जैसे, भीड़ जमना, तलछट जमना ।
४. अच्छा प्रहार होना । खूब चोट पड़ना । जैसे, लाठी जमना, थप्पड़ जमना ।
५. हाथ से होनेवाले काम का पूरा पूरा अभ्यास होना । जैसे,—लिखने में हाथ जमना ।
६. बहुत से आदमियों के सामने होनेवाले किसी काम का बहुत उत्तमतापूर्वक होना । बहुत स े आदमियों के सामने किसी का इतनी उत्तमता से होना कि सबपर उसका प्रभाव पड़े । जैसे, व्याख्यान जमना, गाना जमना, खेल जमना ।
७. सर्वसाधारण से संबंध रखनेवाले किसी काम का अच्छी तरह चलने योग्य हो जाना । जेसे, पाठशाला जमना, दूकान जमना ।
८. घोड़े का बहुत ठुमक ठुमककर चलवा । उ॰—जमत उड़त ऐंड़त उछरत पैंजनी बजावत ।—प्रेमघन॰, भा॰ १, पृ॰ ११ ।
जमना ^२ क्रि॰ अ॰ [सं॰ जन्म, प्रा॰ जम्म > जम + हिं॰ ना (प्रत्य॰)] उगना । उपजना । उत्पन्न होना । फूटना । जैसे, पौधा जमना, बाल जमना ।
जमना ^३ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ जमना(=उत्पन्न होना)] वह घास जो पहली वर्षा के उपरांत खेतों में उगती है ।
जमना † ^४ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ यमुना] दे॰ 'यमुना' ।