जाँघिया
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जाँघिया संज्ञा पुं॰ [हिं॰ जाँघ + इया (प्रत्य॰)]
१. लँगोट की तरह पहनावे का जाँघ को ढकने का एक प्रकार का सिला हुआ वस्त्र । काछा । विशेष—यह पायजामें की तरह का कमर में पहनने का एक प्रकार का सिला हुआ पहनावा है जिसकी चुस्त मोहरियाँ घुटनों के ऊपर कमर और पैर के जोड़ तक ही रहती हैं । इसमें पूरी रान दिखाई पड़ती है । इसे प्राय: पहलवान और नट आदि लँगोटे के ऊपर पहनते हैं ।
२. मालखंभ की एक प्रकार की कसरत । विशेष—इसमें बेंत को पैर के अँगूठे और दूसरी उँगली से पकड़कर पिंड़ली में लपेटते हुए दूसरी पिड़ली पर भी लपेटत े है और तब दूसरे पैर के अँगूठे से बेंत को पकड़कर नीचे की ओर सिर करके लटक जाते हैं ।