जाट
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जाट ^१ संज्ञा पु॰ [सं॰ यष्टि अथवा सं॰ यादव, > जादव > जाडव > जाडअ > जाटअ > जाट]
१. भारतवर्ष की एक प्रसिद्ध जाति जो समस्त पंजाब, सिंध, राजपूताने और उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में फैली हुई है । विशेष—इस जाति के लोग संख्या में बहुत अधिक हैं और भिन्न भिन्न प्रदेश में भिन्न भिन्न नामों से प्रसिद्ध हैं । इस जाति के अधिकांश आचार व्यवहार आदि राजपूतों से मिलते जुलते होते हैं । कहीं कहीं ये लोग अपने को राजपूतों के अंतर्गत भी बतलाते हैं । राजपूतों के ३६ वंशों में जाटों का भी नाम आया है । कुछ देशों में जाटों और राजपूतों का बिवाह संबंध भी होता है । पर कहीं कहीं के जाटों में विधवा विवाह और सगाई की प्रथा भी प्रचलित है । जाटों की उत्पत्ति के संबंध में अनेक कथाएँ प्रसिद्ध हैं । कोई कहता है कि इनकी उत्पत्ति शिव की जटा से हुई; और कोई जाटों को यदुवंशी और जाट शब्द को यदु या यादव से संबंद्ध बतलाता है । अधिकांश जाट खेती बारी से ही अपना निर्वाह करते हैं । पंजाब, अफगानिस्तान और बलूचिस्तान में बहुत से मुसलमान जाट भी हैं ।
२. एक प्रकार का रंगीन या चलता गाना ।
जाट ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ यष्टि, हिं॰ जाठ] दे॰ 'जाठ' ।