जिल्द
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जिल्द संज्ञा स्त्री॰ [अ॰] [वि॰ जिल्दी]
१. खाल । चमड़ा । खलड़ी ।
२. ऊपर का चमड़ा । त्वचा । जैसे, जिल्द की बीमारी ।
३. वह पट्ठा या दफ्ती जो किसी किताब की सिलाई जुजबंदी आदि करके उसके ऊपर उसकी रक्षा की लिये लगाई जाती है । क्रि॰ प्र॰—बनाना ।—बाँधना । यौ॰—जिल्दबंद । जिल्दसाज ।
४. पुस्तक की एक प्रति । विशेष—इस शब्द का प्रयोग उस समय होता है जब पुस्तकों का ग्रहण संख्या के अनुसार होता है । जैसे,—दस जिल्द पद्मावत, एक जिल्द रामायण ।
५. किसी पुस्तक का वह भाग जो पृथक् सिला हो । भाग । खंड । जैसे,—दादूदयाल की बानी दो जिल्दों में छपी हैं ।