जिस
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जिस ^१ वि॰ [सं॰ यस्य, प्रा॰ जस्स, हिं॰ जिस] 'जो' का वह रूप जो उसे विभक्तियुक्त विशेष्य के साथ आने से प्राप्त होता है । जैसे, जिस पुरुष ने, जिस लड़के को, जिस छड़ी से । जिस घोड़े पर, जिस घर में, इत्यादि ।
जिस ^२ सर्व॰ 'जो' का वह अंगरूप, विकारीरूप जो उसे विभक्ति लगने के पहले प्राप्त होता है । जैसे, जिसने, जिसको, जिससे, जिसका, जिस पर, जिनमें' । विशेष—संबंध पूरा करने के लिये 'जिस' के पीछे 'उस' का प्रयोग होता है । जैसे,—जिसको देगे उससे लेंगे । पहले 'उस' के स्थान पर 'तिस' का प्रयोग होता था ।