जीवक
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जीवक संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. प्राण धारण करनेवाला ।
२. आयुर्वेद के एक प्रसिद्ध आचार्य जो बौद्ध परपंरा के अनुसार ईस्वी पूर्व चौथी या तीसरी शताब्दी में थे ।
३. क्षपणक ।
४. सँपेरा ।
५. सेवक ।
६. ब्याज लेकर जीविका करनेवाला । सूदखोर ।
७. पीतसाल का वृक्ष ।
८. एक जड़ी या पौधा । विशेष—भावप्रकाश के अनुसार यह पोधा हिमालय के शिखरों पर होता है । इसका कद लहसुन के कंद के समान और इसकी पत्तियाँ महीन और सारहीन होती है । इसकी टहनियों में बारीक काँटे होते हैं और दूध निकलता है । यह अष्टवर्ग औषध के अंतर्गत है और इसका कंद मधुर, बलकारक और कामोद्दीपक होता है । ऋषभ और जीवक दोनों एक ही जाति के गुल्म हैं, भेद केवल इतना ही है कि ऋषभ की आकृति बैल की सींग की तरह होती है और जीवक की झाडू की सी । पर्या॰—कूर्चशीर्ष । मधुरक । श्रृंग । ह्नस्वाँग । जीवन । दीर्घायु प्राणद । भृंगाह्व । चिरजीवी । मंगला । आयुष्मान् । बलद ।