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जोड़

विक्षनरी से
लस

प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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जोड़ संज्ञा पुं॰ [सं॰] बंधन [को॰] ।

जोड़ संज्ञा पुं॰ [सं॰ योग]

१. गणित में कई संख्याओं का योग । जोड़ने की क्रिया ।

२. गणित में कई संख्याओं का योगफल । वह संख्या जो कई संख्याओं को जोड़ने से निकले । मीजान । ठीक । टोटल । क्रि॰ प्र॰ —देना ।—लगाना ।

३. वह स्थान जहाँ दो या अधिक पदार्थ या टुकडे़ जुडे़ अथवा मिले हों । जैसे, कपडे़ में सिलाई के कारण पड़नेवाला जोड़, लोटे या थाली आदि क जोड़ । मुहा॰—जोड़ उखडना = जोड़ का ढीला पड़ जाना । संधि स्थान में कोई ऐसा विकार उत्पन्न होना जिसके कारण जुडे़ हुए पदार्थ अलग हो जायँ ।

४. वह टुकडा़ जो किसी चीज में जोडा़ जाय । जैसे,—यह चाँदनी कुछ छोटी है इसमें जोड़ लगा दो ।

५. वह चिन्ह जो दो चीजों के एक में मिलने के कारण संधि स्थान पर पड़ता है ।

६. शरीर के दों अवयवों का संधि स्थान । गाँठ । जैसे, कंधा, घुटना, कलाई, पोर आदि । मुहा॰—जोड़ उखाड़ना = किसी अवयव के मूल का अपने स्थान से हट जाना । जोड़ बैठना = अपने स्थान से हटे हुए अवयव के मूल का अपने स्थान पर आ जाना ।

७. मेल । मिलान ।

८. बराबरी । समानता । जैसे,— तुम्हारा और उनका कौन जोड़ है ? विशेष—प्राय: इस अर्थ में इस शब्द का रुप जोड़ का भी होता है । जैसे,—(क) यह गमला उसके जोड़ का है । (ख) इसके जोड़ का एक लंप ले आओ ।

९. एक ही तरह की अथवा साथ साथ काम में आनेवाली दो चीजें । जोडा़ । जैसे, पहलवानों का जोड़, कपडों (धोती और दुपट्टे ) का जोड़ । मुहा॰— जोड़ बाँधना = (१) कुश्ती के लिये बराबरी के दो पहलवानों को चुनना । (२) किसी काम पर अलग अलग दो दो आदमियों को नियत करना । (३) चौपड़ से दो गोटियाँ एक ही घर में रखना ।

१०. वह जो बराबरी का हो । समान धर्म या गुण आदिवाला । जोड़ ।

११. पहनने के सब कपडे़ । पूरी पोशाक । जैसे,— उनके पास चार जोड़ कपडे हैं ।

१२. किसी वस्तु या कार्य में प्रयुक्त होनेवाली सब आवश्यक सामग्री । जैसे, पहनने के सब कपड़ों या अंग प्रत्यंग के आभूषणों का जोड़ ।

१३. जोड़ने की क्रिया या भाव ।

१४. छल । दाँव । यौ॰—जोड़ तोड़ = (१) दाँव पेंच । छल कपट । (२) किसी कार्य विशेष युक्ति । ढंग । विशेष—बहुधा इस अर्थ में इसके साथ 'लगाना' । 'भिड़ना' क्रियाओं का व्यवहार होता है ।

१५. 'जोड़ा' ।

जोड़ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰] दे॰ 'जोरू' ।