झरोखा
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]झरोखा संज्ञा पुं॰ [सं॰ जाल + गवाक्ष अतवा अनु॰ झर झर (= वायु बहने का शब्द) + गौख अथवा सं॰ जालगवाक्ष] [स्त्री॰ झरोखी] दीवारों आदि में बनी हुई झँझरी । छोटी खिड़की या मोखा जिसे हवा और रोशनी आदि के लिये बनाते हैं । गवाक्ष । गौखा । उ॰—होर राणीआँ झरोखियों पर बैठीआँ सी भी सुणकर सभ के मन पवन इस्थिर हो गए ।—प्राण॰, पृ॰ १८३ ।