टपकना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]टपकना क्रि॰ अ॰ [अनु॰ टपटप]
१. बूँद बूँद गिरना । किसी द्रव पदार्थ का बिंदु के रूप में ऊपर से थोड़ा थोड़ा पड़ना । चूना । रसना । जैसे, घड़े से पानी टपकना, छत टपकना । उ॰—टप टप टपकत दुख भरे नैन ।—हरिश्चंद्र (शब्द॰) । विशेष—इस क्रिया का प्रयोग जो वस्तु गिरती है तथा जिस वस्तु में से कोई वस्तु गिरती है. दोनों के लिये होता है । संयो॰ क्रि॰—जाना ।—पड़ना ।
२. फल का पककर आपसे आप पेड़ से गिरना ।जैसे, आम टपकना । महुआ टपकना । संयो॰ क्रि॰—पड़ना ।
३. किसी वस्तु का ऊपर से एकबारगी सीध में गिरना । ऊपर से सहसा पतित होना । टूट पड़ना । संयो॰ क्रि॰— पड़ना । मुहा॰—टपक पड़ना = एकबारगी आ पहुँचना । अकस्मात् आकर उपस्थित होना । जैसे,—हैं ! तुम बीच में कहाँ से टपक पड़े । आ टपकना= दे॰ 'टपक पड़ना' ।
४. किसी बात का बहुत अधिक आभास पाया जाना । अधिकता से कोई भाव प्रगट होना । लक्षण, शब्द, चेष्टा या रूप रंग से कोई भाव ध्यंजित होना । जाहिर होना । झलकना । जैसे,—(क) उसके चेहरे से उदासी टपक रही थी । (ख) मुहल्ले में चारों ओर उदासी टपकती है । (ग) उसकी बातों से बदमाशी टपकती है । संयो॰ क्रि॰—पड़ना । जैसे,—उसके अंग अंग से यौवन टपका पड़ता था ।
५. (चित्त का) तुरंत प्रवुत्त होना । (हृदय का) झट अकर्षित होना । ढल पड़ना । फिसलना । लुभा जाना । मोहित हो जाना । संयो॰ क्रि॰—पड़ना ।
६. स्त्री का संभोग की ओर प्रवृत्त होना । ढल पड़ना ।— (बाजारू) । संयो॰ क्रि॰—पड़ना ।
७. घाव, फोड़े आदि का मवाद आने के कारण रह रहकर दर्द करना । धिलकना । टीस मारना । टीसना ।
८. फोड़े का पककर बहना । संयो॰ क्रि॰— पड़ना ।
९. लड़ाई में घायल होकर गिरना । संयो॰ क्रि॰—पड़ना ।