डेढ़
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]डेढ़ वि॰ [सं॰ अध्यर्द्ध, प्रा॰ डिवड़्ढ] एक और आधा । सार्द्धेक । जो गिनती में १ १/२ हो । जैसे, डेढ़ रुपया, डेढ़ पाव, डेढ़ सेर, डेढ़ बजे । मुहा॰— डेढ़ ईट लको जुदा मसजिद बनाना = खरेपन या अक्खड़- पन के कारण सबसे अमग काम करना । मिलकर काम न करना । डेढ् गाँठ = एक पूरी और उसके ऊपर दूसरी आधी गाँठ । रस्सी तागे आदि की गाँठ जिसमें एक पूरी गाँठ लगाकर दूसरी गाँठ इस लगाते हैं कि तागे का एक छोर दूसरे छोर की दूसरी ओर बाहर नहीं खींचते, तागे को थोड़ी दूर ले जाकर बीच ही में कस देते हैं । इसमें दोनों छोर एक ही ओर रहते हैं ओर दूसरे छोर को खोंचने से गाँठ खुल जाती है । मुद्धी । डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना = अपनी राय सबसे अलग रखना । बहुमत से भिन्न मत प्रकट करना । डेढ़ चुल्लू = थोड़ा सा । डेढ़ चुल्लू लहू पीना = मार डालना । खूब दंड़ देना ।( क्रोधोक्ति, स्त्रि॰) । विशेष— जब किसी निदिंष्ट संख्या के पहले इस शब्द का प्रयोग होता है तब उस संख्या को एकाई मानकर उसके आधे को जोड़ने का अभिप्राय होता है । जैसे, डेढ़ सौ = सौ ओर उसका आधा पचास अर्थात् १५०, डेढ़ हजार = हजार और उसका आधा पचास सो अर्थात् १५०० । पर, इस शब्द का प्रयोग दहाई के आगे के स्थानों को निर्दिष्ट करनेवाली संख्याओं के साथ ही होता हैं । जैसे, सौ, हजार, लाख, करोड़, अरब इत्यादि । पर अनपढ़ और गँवार, जो पूरी गिनती नहीं जानते, ओर संख्याओं के साथ भी इस शब्द का पेरयोग कर देते हैं । जैसे, डेढ़ बीस अर्थात् तीस ।