तह
संज्ञा
- निचला भाग, गहराई
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
तह संज्ञा स्त्री॰ [फ़ा॰]
१. किसी वस्तु की मोटाई का फैलाव जो किसी दूसरी वस्तु के ऊपर हो । परत । जैसे, कपडे़ की तह, मलाई की तह, मिट्टी की तह, चट्टान की तह । उ॰—(क) इसपर अभी मिट्टी की कई तहें चढ़ेंगी (शब्द॰) । (ख) इस कपडे़ को चार पाँच तहों में लपेटकर रख दो (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—चढना ।—चढ़ाना ।—जमना ।—जमाना ।-लगाना । यौ॰—तहदार = जिसमें कई परत हों । तह ब तंह = एक के नीचे एक । परत पर परत । मुहा॰—तह करना = किसी फैली हुई (चद्दर आदि के आकार की) वस्तु के भागों को कई ओर से मोड़ और एक दूसरे के ऊपर फैलाकर उस वस्तु को समेटना । चौपरत करना । तह कर रखो = लिए रहो । मत निकालो या दो । नहीं चाहिए । तह जमाना या बैठाना = (१) परत के उपर परत दबाना । (२) भोजन पर भोजन किए जाना । तह तोड़ना = (१) झगड़ा निबटाना । समाप्ति को पहुँचाना । कुछ बाकी न रखना । निबटना । (२) कुएँ का सब पानी निकाल देना जिसमें जमीन दिखाई देने लगे । (किसी चीज की) तह देना = (१) हलकी परत चढ़ाना । थोड़ी मोटाई में फैलना या बिछाना । (२) हलका रंग चढ़ाना । (३) अतर बनाने में जमीन देना । आधार देना । जैसे,—चंदन की तह देना । तह मिलना = जोड़ा लगाना । नर और मादा एक साथ करना । तह लगाना = चौपरत करके समेटना ।
२. किसी वस्तु के नीचे का विस्तार । तल । पेंदा । जैसे, इस गिलास में धुखी दवा तह में जाकर जम गई है । मुहा॰—तह का सच्चा = वह कबूतर जो बराबर अपने छत्ते पर चला आवे, अपना स्थान न भूले । तह की बात = छिपी हुई बात । गुप्त रहस्य । गहरी बात । (किसी बात की) तह को पहुँचना = दे॰ 'तह तक पहुँचना' । (किसी बात की) तह तक पहुँचना = किसी बात के गुप्त अभिप्राय का पता पाना । यतार्थ रहस्य जान लेना । असली बात समझ जाना ।
३. पानी के नीचे की जमीन । तल । थाह ।
४. महीन पटल । वरक । झिल्ली । क्रि॰ प्र॰—उचड़ना ।