थाली
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]थाली संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ स्थाली (= बटलोई)]
१. काँसे या पीतल का गोल छिछला बरतन जिसमें खाने के लिये भोजन रखा जाता है । बड़ी तश्तरी । मुहा॰—थाली का बैंगन = लाभ और हानि देख कभी इस पक्ष, कभी उस पक्ष में होनेवाला । अस्थिर सिद्धांत का । बिना पेंदी का लोटा । उ॰—जबरखाँ होंगे उनकी न कहिए । यह थाली के बैंगन हैं ।—फिसाना, भा॰ ३, पृ॰ १९ । थाली जोड़ = कटोरे के सहित थाली । थाली और कटोरे का जोड़ा । थाली फिरना = इतनी भीड़ होना कि यदि उसके बीच थाली, फेंकी जाय तो वह ऊपर ही ऊपर फिरती रहे उसके नीचे न गिरे । भारी भीड़ होना । थाली बजाना = साँप का विष उतारने का मंत्र पढ़ा जाना जिसमें थाली बजाई जाती है । थाली बजाना = (१) साँप का विष उतारने के लिये थाली बजाकर मंत्र पढ़ना । (२) बच्चा होने पर उसका डर दूर करने के लिये थाली बजाने की रीति करना ।
२. नाच की एक गत जिसमें थोड़े से घेर के बीच नाचना पड़ता है । यौ॰—थाली कटोरा = नाच की एक गत जिसमें थाली और परबंद का मेल होता है ।