दीप
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]दीप ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. दीया । चीराग । जलती हुई बत्ती । यौ॰— दीपकलिका । दीपकिट्ट । दीपकूपी । दीपदान । दीपध्वज । दीपपुष्प । दीपमाला । दीपवृक्ष । दीपशिखा । विशेष— किसी कुल या समुदाय का दीप कहने से उस कुल या समुदाय में श्रेष्ठ का अर्थ सूचित होता है; जैसे, निरखि बदन गरि भूम रजाई । रघुकुल दीपहिं चलेउ लिवाई ।— तुलसी (शब्द॰) ।
२. दस मात्राओं का एक छंद जिसके अंत में तीन लघु फिर एक गुरु और फिर एक लघु होता है । जैसे,— जय जयति जगबंद, मुनि मन कुमुद चंद । त्रैलोक्य अवनीप । दशरथ कुलदीप ।
दीप ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ द्वीप] दे॰ 'द्वीप' । उ॰— रामतिलक सुनि दीप दीप के नृप आए उपहार लिए । सीय सहित आसीन सिंहासन निरखि जोहारत हरष हिए ।— तुलसी ग्रं॰, पृ॰ ४०३ ।