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दीपक

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दीपक

प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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दीपक ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. दीया । चिराग । यौ॰—कुलदीपक = वंश को उजाला करनेवाला पुत्र ।

२. एक अर्थालंकार जिसमें प्रस्तुत (जो वर्णन का विषय हो) और अप्रस्तुत (जो वर्णन का उपस्थित विषय न हो और उपमान आदि हो) का एक ही धर्म कहा जाता है; अथवा बहुत सी क्रियाओं का एक ही कारक होता है । जैसे,— (क) सोहत भूपति दान सों फल फूलन आराम । इस उदाहरण में प्रस्तुत 'भूपति' और अप्रस्तुत 'आराम' दोनों का एक धर्म सोहत कहा गया है ।(ख) ऋषिहिं देखि हरषै हियो राम देखि कुम्हिलाय । धनुष देखि डरपै महा चिंता चित्त डुलाय । इस उदाहरण में हरखै 'कुम्हिलाय' 'डरपै' आदि क्रियाओं का एक ही कर्ता 'हियो' कहा गया है । विशेष— दीपक चार आदि और प्रधान अलंकारों में से है । तुल्ययोगिता में भी एक धर्म का कथन होता है पर वह या तो कई प्रस्तुतों या कई अप्रस्तुतों का होता है । दीपक में प्रस्तुत और अप्रस्तुत के एक धर्म का कथन होता है । दीपक चार प्रकार का होता है— आवृत्ति दीपक, कारक दीपक, माला दीपक और देहली दीपक । (१) आवृत्ति दीपक में या तो एक ही क्रियापद भिन्न भिन्न अर्थों में बार बार आता है अथवा एक ही अर्थ के भिन्न भिन्न पद आते हैं । जैसे,— (क) बहैं रुधिर सरिता, बहैं किरवानै कढ़ि कोस । बीरन बरहि बरांगना, बरहि सुभट रन रोस । (ख) दौरहिं संगर मत्त गज धावहिं हय समुदाय । (२) कारक दीपक । उ॰— ऊपर देखिए । (३) माला दीपक जिसमें एकावली और दीपक का मेल होता है । जैसे,— जग की रुचि ब्रजवास, ब्रज की रुचि ब्रजचंद हरि । हरि रुचि बंसी 'दास', बंसी रुचि मन बाँधिवो । (४) देहली दीपक में एक ही पद दो ओर लगता है । जैसे— ह्वै नरसिंह महा मनुजाद हन्यो प्रहलाद को संकट भारी । इस उदाहरण में 'हन्यो' शब्द दो ओर लगता है— 'मनुजाद हन्यो' और 'भारी संकट हन्यो' ।

३. संगीत में छह रागों में से एक । विशेष— हनुमत् के मत से यह छह रागों में दूसरा राग है । यह संपूर्ण जाति का राग है और षड्ज स्वर से आरंभ होता है । इसके गाने का समय ग्रीष्म ऋतु का मध्याह्न है । इसका सरगम यह है— स रे ग म प ध नि स । इसी पाँच रागिनियाँ मानी जाती हैं— देशी, कामोदी, नाटिका केदारी और कान्हड़ा । पुत्र आठ हैं— कुंतल, कमल, कलिंग, चंपक, कुमंभ, राम, लहिल और हिमाल । भरत के मत से दीपक की पत्नियाँ हैं— केदारा, गौरी, गौड़ी, गुर्जरी, रुद्रांणी; और पुत्र हैं कुसुम, टंक, नटनारायचण, विहागरा, किरोदस्त, रभसमंगला, मंगलाष्टक और अड़ाना ।

४. एक ताल का नाम जिसमें प्लुत, लघु और प्लुत होते हैं ।

५. अजवायन (जो अग्निदीपक होती है) ।

६. केसर ।

दीपक ^२ वि॰ [स्त्री॰ दीपिका]

१. प्रकाश करनेवाला । उजाला फैलानेवाला । दीप्तिकारक ।

२. जठराग्नि को दीप्त करने वाला । पाचन की अग्नि को तेज करनेवाला ।

३. उत्तेजक । शरीर में वेग या उमंग लानेवाला ।

दीपक ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. एक डिंगल गीत । छंदविशेष । उ॰— तुकां वेलिये गीत री, आद दुतिय चतुरंत । तिय पद दोय दुमेल तुक, दीपक सो दाखंत ।—रघु॰ रू॰, पृ॰ १०९ ।