दौड़
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]दौड़ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ दौड़ना]
१. दौड़ने की क्रिया या भाव । साधारण से अधिक वेग के साथ गति । द्रुतगमन । धावा । तेजी से चलने या जाने की क्रिया । यौ॰—दौड़ मारना = (१) वेग के साथ जाना । (२) दूर तक पहुँचना । लंबी यात्रा करना । जैसे,—कलकत्ते से यहाँ आ पहुँचे, बड़ी लंबी दौड़ मारी । दौड़ लगाना = दे॰ 'दौड़ मारना' । जैसे,—बड़ी लंबी दौड़ लगाई ।
२. धावा । वेगपूर्वक आक्रमण । चढ़ाई ।
३. उद्योग में इधर उधर फिरने की क्रिया । प्रयत्न । मुहा॰—दौड़ मारना = उद्योग में इधर उधर फिरना । कोशिश में हैरान होना ।
४. द्रुतगति । वेग । मुहा॰—मन की दौड़ (दौर) = चत्त की सूझ । कल्पना । उ॰—भक्ति रूप भगवंत की भेष जो मन की दौर ।—कबीर (शब्द॰) ।
५. गति की सीमा । पहुँच । जैसे,—मुल्ला की दौड़ मसजिद तक ।
६. उद्योग की सीमा । प्रयत्नों की पहुँच । अधिक से अधिक उपाय या यत्न जो हो सके ।
७. बुद्धि की गति । अक्ल की पहुँच । जैसे,—जहाँ तक जिसकी दौड़ होगी वहीं तक न अनुमान करेगा ।
८. विस्तार । लंबाई । आयत । जैसे, दुशाले की बेल या हाशिये की दौड़ ।
९. सिपाहियों का दल जो अपराधियों को एकबारगी पकड़ने के लिये जाय । जैसे, पुलिस की दौड़ । क्रि॰ प्र॰—आना ।—जाना ।—पहुँचना ।
१०. जहाज पर की वह चरखी जिसमें लकड़ी डालकर घुमाने से वह जंजीर खिसकती है जिसमें पतवार बँधा रहता है ।
११. दौड़ने की प्रतियोगिता । जैसे,—इस बार की दौड़ में वह प्रथम आया है ।