नख

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

नख ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. हाथ या पैर का नाखून । विशेष— दे॰ 'नाखून' । पर्या॰—पुनर्भव । कररुह । नखर । कामांकुश । करज । पाणिज कराग्रज । करकँटक । स्मरांकुश । रतिपथ । करचंद्र । करांकुश ।

२. एक प्रसिद्ध गंधद्रव्य जो सीप या घोंघे आदि की जाति के एक प्रकार के जानवर के मुँह का ऊपरी आवरण या ढकना होता है । विशेष—इसका आकार नाखून के समान चंद्राकार या कभी कभी बिलकुल गोल भी होता है । यह छोटा, बड़ा, सफेद, नीला कई प्रकार और रंम का होता है; जिनमें से छोटा और सफेद रँग का अच्छा माना जाता है । छोटे को वैद्यक ग्रंथों मे क्षुद्र- नखी और बड़े को शंखनकी, व्याघ्रमखी बृहन्नखी कहते हैं । किसी किसी का आकार घोड़े के सुम या हाथी के कान के समान भी होता है । इसे जलाने से बदबू निकलती है पर तेल में डालने से खुशबू निकलती है । इसका व्यवहार दवा के लिये होता है । वैद्यक के अनुसार यह हलका, गरम, स्वादिष्ट, शुक्र- वर्धक और व्रण, विष श्लेष्मा, वात, ज्वर, कुष्ट और मुख की दुर्गंध दूर करनेवाला है ।

३. खंड । टुकड़ा ।

४. बीस की संख्या (को॰) ।

५. क्लीब । नपुंसक (को॰) ।

नख ^२ संज्ञा स्त्री॰ [फा॰ नख]

१. एक प्रकार का बटा हुआ महीन रेशमी तागा जिससे गुड्डी उड़ाते और कपड़ा सीते हैं ।

२. गुड्डी उड़ाने के लिये वह पतला तागा जिसपर माँझा दिया जाता है । डोर ।