नारा
दिखावट
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]नारा ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] जल (मनु॰) ।
नारा ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ नाल, हिं॰ नार]
१. सूत की डोरी जिससे स्त्रियाँ घाघरा कसती हैं अथवा कहीं कहीं धोती की चुनन बाँधती हैं । इजारबंद । नीबी । दे॰ 'नाड़ा' । उ॰—नाराबंधन सुथन जथन ।—सूर (शब्द॰) ।
२. लाल रंग हुआ कच्चा सूत जो पूजन में देवताओं को चढ़ाया जाता है । मौली । कुसुंभ सूत्र ।
३. हल के जुवे में बँधी हुई रस्सी ।
४. बरसाती पानी के बहने का प्राकृतिक मार्ग । छोटी नदी । नाला । उ॰—(क) चहुँ दिसि फिरेउ धनुष जिमि नारा ।—मानस, १ । १३३ । (ख) बिच बिच खोह नदी औ नारा ।—जायसी ग्रं॰, (गुप्त॰), पृ॰ २१२ ।
५. दे॰ 'नार ^२' ।
नारा ^३ संज्ञा पुं॰ [फा॰ नालहु]
१. आवाज । शोर ।
२. सामूहिक आवाज । किसी माँग की और ध्यान दिलाने या प्रसन्नता और उत्साह व्यक्त करने के लिये बार बार बुलंद की जानेवाली सामूहिक आवाज ।