पाठ
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पाठ ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. पढने की क्रिया या भाव । पढा़ई ।
२. किसी पुस्तक विशेषतः धर्मपुस्तक को नियमपूर्वक पढ़ने की क्रिया या भाव । जैसे, वेदपाठ, स्तोत्रपाठ ।
३. बह्ययज्ञ । वेदाध्ययन । वेदपाठ । यौ॰—पाठदोष । पाठप्रणाली ।
३. जो कुछ पढा़ या पढा़या जाय । पढ़ने या पढा़ने का विषय ।
४. उक्त विषय का उतना अंग जो एक दिन में या एक बार पढा़ जाय । सबक । संथा । क्रि॰ प्र॰—देना । —पढना । —पाना । मुहा॰— पाठ पढाना = कुछ सीखना, विशेषतः कोई बुरी बात । जैसे,—आजकल ये जुए का पाठ पढ़ रहे हैं । पाठ पढा़ना = अपने मतलब के लिये किसी को बहकाना । पट्टी पढाना । उलटा पाठ पढाना = कुछ का कुछ समझा देना । असलियत के विरुद्ध विश्वास करा देना । बहका देना । ५ पुस्तक का एक अंश । परिच्छेद । अध्याय ।
६. शब्दों या वाक्यों का क्रम या योजना । जैसे,—अमुक पुस्तक में इस दोहे का यह पाठ है । यो॰— पाठभेद । पाठांतर ।
पाठ † ^२ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ पट्ठा] जवान गाय, भैंस या बकरी ।