पिस्ता
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पिस्ता संज्ञा पुं॰ [फा़॰ पिस्तह] काकड़ा की जाति का एक छोटा पेड़ और उसका फल जो एक प्रसिद्ध मेवा है । विशेष— इसाक पेड़ शाम, दमिश्क और खुरासान से लेकर अफगानिस्तान तक थोड़ा बहुत होता है और इसके फल की गिरी अच्छे मेवों में है । इसके पत्ते गुलचीनी के पत्तों के से चौडे़ चौडे़ होते हैं और एक सींक में तीन तीन लगे रहते हैं । पत्तों पर नसें बहुत स्पष्ट होती हैं । फल देखने में महुवे के से लगते हैं । रुमी मस्तगी के समान एक प्रकार का गोंद इस पेड़ से भी निकलता है । पिस्ते के पत्तों पर भी काकड़ासींगी के समान एक प्रकार की लाही सी जमती है जो विशेषतः रेशम की रँगाई में काम आती है । पिस्ते के बीज से तेल भी बहुत सा निकलता है जो दवा के काम में आता है ।