पील
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पील ^१ संज्ञा पुं॰ [फा़॰]
१. हाथी । गज । हस्ति । उ॰—परै पील भुम्मी सु घुम्मैं गरज्जैं ।—ह॰ रासो, पृ॰ १४९ ।
२. शतरंज के खेल का एक मोहरा । यह तिरछा चलता है और तिरछा ही मारता है । इसको पीला, फील, फीला तथा ऊँठ भी कहते हैं । विशेष—दे॰ 'शतरंज' ।
पील ^२ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ पीलू] कीड़ा ।
पील ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ पीलु] दे॰ 'पीलु'—१ ।
पील पु ^४ वि॰ [हिं॰ पीला] दे॰ 'पीला' । उ॰—ता में लील पील सम द्वारा ।—घट॰, पृ॰ २४९ ।