पेट
पेट पाचन का एक अंग है. यह और एक saclike आकार है घेघा और आंतों के बीच स्थित है. लगभग हर जानवर एक पेट है.
मानव पेट एक पेशी, लोचदार, नाशपाती के आकार का बैग है, डायाफ्राम के नीचे के उदर गुहा में crosswise झूठ बोल रही है. यह करने के लिए शरीर की स्थिति और भोजन की मात्रा अंदर है अनुसार आकार और आकार में परिवर्तन. पेट के बारे में 12 इंच (30,5 सेमी) लंबा है और 6 इंच है. (15.2 सेमी) का सर्वाधिक विस्तृत बिंदु पर व्यापक. पेट की क्षमता के बारे में 1 qt एक वयस्क में (0,94 लीटर) है.
भोजन की घेघा से पेट में प्रवेश करती है. पेट और घेघा के बीच का संबंध ह्रदय रोग से दबानेवाला यंत्र कहा जाता है. ह्रदय रोग से दबानेवाला यंत्र को घेघा करने के लिए वापस पासिंग से भोजन से बचाता है. दिल को जला के अनुभूति होती है जब पेट के रस (आमाशय रस) के घेघा में दबानेवाला यंत्र के माध्यम से रिसना करने की अनुमति दी है. एक बार के भोजन के पेट में प्रवेश, आमाशय रस खाना टूट करने के लिए उपयोग किया जाता है. कुछ मादक द्रव्यों के पेट की मांसपेशियों अस्तर अवशोषित कर रहे हैं. एक पेट absorbs के पदार्थों की शराब है.
इस duodenum में खाली पेट के दूसरे छोर. इस duodenum छोटी आंतों का पहला खंड है. इस जठरनिर्गम दबानेवाला यंत्र को duodenum से पेट में जुदा होते हैं.
पेट पाँच परतों से बना है. के अंदर से प्रारंभ हो और हमारे रास्ते बाहर काम है, सब से भीतर का स्तर है, mucosa कहा जाता है. पेट में अम्ल और पाचन रस के mucosa परत में किया जाता है. अगले स्तर है, submucosa कहा जाता है. इस submucosa के muscularis, मांसपेशियों की एक परत से घिरा हुआ है कि चलता है और घोला जा सकता है पेट सामग्री. अगले दो परतों के subserosa और serosa पेट के लिए रैपिंग रहे हैं. इस serosa पेट के outermost परत है.
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
पेट ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ पेट ( = थैला)]
१. शरीर में थैले के आकार का वह भाग जिसमें पहुँचकर भोजन पचता है । उदर । विशेष—बहुत ही निम्न कोटि के जीवों में गले के नीचे का प्रायः सारा भाग पेट का ही काम देता है कुछ जीव ऐसे भी होते हैं जिनमें किसी प्रकार की पाचन क्रिया होती ही नहीं और इसलिये उनमें पेट भी नहीं होता । पर उच्च कोटि के जीवों के शरीर के प्रायः मध्य भाग में थैले के आकार का एक विशेष अंग होता है जिसमे पाचन रस बनता और भोजन पचता है । मनुष्यों और चौपायों आदि में यह अंग पसलियों के नीचे और जननेंद्रिय से कुछ ऊपर तक रहता है । पाचक रस बनाने और भोजन पचानेवाले सब अंग; जैसे, आमाशय, पक्वाशय, जिगर, तिल्ली, गुरदे आदि इसी के अंतर्गत रहते हैं । इसी के नीचे का भाग कटोरे के आकार का होता है जिसमें आँतें और मुत्राश्य रहता है । कुछ जीवों जैसे पक्षियों आदि, में एक के बदले दो पेट होता है । मुहा॰—पेट आना = दस्त आना । (क्व॰) । पेट का कुत्ता = जो केवल भोजन के लालच से सब काम करता हो । केवल पेट के लिये सब कुछ करनेवाला । पेट कटना = खाने को कम मिलना । भूखे पेट रहना । उ॰—पेट कटता देख जब रो पीटकर । लोग पीटा ही करेंगे छातियाँ ।—चुभते॰ पृ॰ ३९ । पेट काटना = बचाने के लिये कम खाना । जाना बूझकर कम खाना जिसमें कुछ बचत हो जाय । पेट का धंधा = (१) भोजन बनाने का प्रबंध । रसोई बनाने का झंझट । (२) रोजी रोजगार ढूँढ़ने का प्रबंध । जीविका का उपाय । (३) हलका कामकाज । मेहनत मजदूरी । पेट का पानी न पचना = रहा न जाना । रह न सकना । जैसे,—बिना सब हाल कहे तुम्हारे पेट का पानी न पचेगा । पेट का पानी हिलना = परिश्रम होना । मिहनत पड़ना । उ॰— हिल गए दिल भी न हिलना चाहिए । जायँ हिल क्यों पेट का पान ी हिले ।—चुभते॰, पृ॰ ५७ । पेट का पानी न हिलना = कुछ परिश्रम न पड़ना । जरा भी मिहनत या तकलीफ न होना । पेट का हलका = क्षुद्र प्रकृति का । ओछे स्वभाव का जिसमें गंभीरता न हो । पेट की आग = भूख । उ॰—आगि बड़वागि तें बड़ी है आगि पेट की ।—तुलसी (शब्द॰) । पेट की आग बुझाना = पेट में भोजन भोजन पहुँचाना । भूख दूर करना । उ॰—काम हैं सूझ बूझ का करते । पेट की आग जो बुझाते हैं ।—चोखे॰ पृ॰ ३८ । पेट की बात = गुप्त भेद । भेद की बात । उ॰—पेट की बात जानना है तो पेट में पैठ क्यों नहीं जाते ।—चुभते॰, पृ॰ ५३ । पेट की मार देना या मारना = भूखा रखना भोजन न देना । पेट के लिये दौड़ना = रोजी या जीविका के लिये उद्योग और परिक्षण करना । पेट के हाथ बिकना = पेट के लिये कोई भी काम करना । आजीविकार्थ कोई भी बुरा भला काम करने के लिये बाध्य होना । उ॰— बड़ी एक है । और पेट के हाथ तो बिकी हुई है । कुछ ठिकाना है ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ ४२६ । पेट को धोखा देना = दे॰ 'पेट काटना' । पेट खलाना = (१) अत्यंत दीनता दिखालाना । उ॰—राम सुभाव सुने तुलसी प्रभुसों कही बारक पेट खलाई ।—तुलसी (शब्द॰) । (२) भूखे होने का संकेत करना । पेट को लगना = भूख लगना । पेट गड़ना = अपच के कारण पेट में दर्द होना । पेट गुड़ गुडा़ना = बादी के कारण आँतों में गुड़गुड़ शब्द होना । पेट में वायु का विकार होना । पेट चलना = दस्त होना । बार बार पाखाना होना । पेट छँटना = (१) पेट साफ हो जाना । पेट का मल निकल जाना । (२) पेट की मोटाई का कम होना । दुबला हो जाना । पेट छूटना = दस्त होना । पेट जलना = (१) अत्यंत भूख लगना । (२) अत्यंत । असंतुष्ट या क्रुद्ध होना । पेट जारी होना = दस्त लगना । दस्तों की बीमारी हो जाना । पेट दिखाना = (१) भूखे होने का संकेत करना । (२) पेट के रोग की पहचान कराना । पेट के रोग का निदान करना । †पेट देना = अपना गूढ़ भेद या विचार किसी को बतलाना । अपने मन की बात बतलाना । उ॰—अपने पेट दियो तैं उनको नाकबुद्धि तिय सबै कहैं री ।—सूर (शब्द) पेट पकड़ना या पकड़े फिरना = परेशान होना । बहुत दुःखी या तंग होना । व्याकुल होना । पेट पाटना = जो कुछ मिल जाय उसी से पेट भर लेना । भूख के मारे खाद्य या अखाद्य का विचार छोड़कर खा लेना । पेट पानी होना = पतले दस्त आना । पेट पाल पालकर पलना = पेट भरकर जीना । केवल खाने कमाने में लगे रहना । उ॰—सब दिनों पेट पाल पाल पले, मोहता मोह का रहा मेवा ।—चोखे॰, पृ॰ ४ । पेट पालना = कठिनता से खाने भर को कमा लेना । जीवन निर्वाह करना । उ॰—बेबसों को लपेट चित पट कर, पालना पेट मुँह पिटाना है ।— चोखे॰, पृ॰ २९ । पेट पीठ एक हो जाना या पेट पीठ से लग जाना = (१) बहुत दुबला हो जाना (२) बहुत भूखे होना । पेट फूलना = (१) किसी बात को जानने या कहने के लिये अथवा किसी पदार्थ को पाने आदि के लिये व्याकुल होना । किसी बात के लिये बहुत अधिक उत्सुक होना । बहुत अधिक हँसने के कारण पेट में हवा भर जाना (जिसके कारण और अधिक हँसा न जा सके) । (३) पेट में वायु ता प्रकोप होना । पेट बाँधना = भूखे रहना । भूख शांत करने के लिये पेट में कुछ न डालना । उ॰—आपका सेवक भी पेट बाँधकर सेवा नहीं करता ।—किन्नर॰, पृ॰ ८ । पेट भरना = किसी प्रकार आजीविका चलना । कठिनाई से आजीविका चलाना । पेट मारना = (१) दे॰ 'पेट काटना' । (२) आत्म- घात करना । आत्महत्या करना । उ॰—हाथ जो आ जाय सोने की छुरी, पेट तो है मारता कोई नहीं ।—चीखे॰, पृ॰ २५ । पेट मारकर मर जाना = आत्माघत करना । उ॰—पेटी ना दिखाओ कोऊ पेट मारि मरिहैं ।— (शब्द॰) । पेट में आँत न मुह में दाँत = वह जो बहुत बुड्ढा हो । अत्यंत वृद्ध । पेट मुँह चलना = हैजा होना । उ॰—दूसरे ही दिन मठ के एक साधू का पेट मुँह चलने लगा ।—मैला॰, पृ॰ ४९ । पेट में खलबली पड़ना = (१ ) चिंता होना । फिक्र होना (२) व्याकुलता होना । घबराहट होना । पेट में चूहों का कलाबाजी खेलना = दे॰ 'पेट में चूहे दौड़ना' । पेट में चींटे की गिरह होना = बहुत कम खाना । थोड़ा भोजन करना । पेट में डाढी़ होना = बचपन ही में बहुत बुदि्धनान् होना । पेट में डालना = खा जाना । पेट में पाँव होना = अत्यंत छली या कपटी होना । चालबाज होना । पेट में बल पड़ना = इतनी हँसी आना कि पेट में दर्द सा होने लगे । (कोई वस्तु) पेट में होना = अधिकार या चंगुल में होना । गुप्त रूप से पास में होना । जैसे—तुम्हारी पुस्तक इन्हीं लोगों के पेट में है । पेट मोटा होना = धन बढ़ना । पूँजी बढ़ना । नाजायज ढंग से संपत्ति की वृद्धि होना । उ॰—जो निकल पावे निकाले पेट से । दिन ब दिन है पेट मोटा हो रहा ।— चुभते॰, पृ॰ ४० । पेट मोटा हो जाना = बहुत घुसखोर हो जाना । अधिक रिश्वत लेने लगना । पेट लगना या लग जाना = भूख से पेट का अंदर धँस जाना । पेट से पाँव निका- लना = (१) किसी अच्छे आदमी का बुरा काम करने लग जाना । कुमार्ग में लगना । (२) = बहुत इतराना । उ॰— बहुत थानेदारी के बल पर न रहिएगा । देखा कि औरतें ही औरतें घर में हैं तो पेट से पाँव निकाले ।—फिसाना॰, भा॰
३. पृ॰ २३१ । (कोई वस्तु) पेट से निकालना = किसी के द्वारा उड़ाई या छिपाकर रखी हुई वस्तु को प्राप्त करना । हजम की हुई चीज पाना ।
२. गर्भ । हमल । यौ॰—पेटपोंछना । मुहा॰—पेट गदराना = गर्भ के लक्षण प्रकट होना । गर्भवती होने के चिह्न दिखाई देना । पेट गिरना = गर्भ गिरना । गर्भपात होना । पेट गिराना = गर्भ नष्ठ करना । पेट गिर- वाना = गर्भपात कराना । पेटचोट्टी = वहु स्त्री जिसके गर्भ हो, परंतु लक्षित न होता हो । गर्भवती होने पर भी जिसक े गर्भ के लक्षण दिखाई न पड़े । पेट छँटना = प्रसूता के गर्भाशय का अच्छी तरह साफ हो जाना । पेट ठंढा रहना = बच्चों का सुख देखना । संतान का जीवित रहना । पेट दिखाना = दाई से यह निश्चित कराना कि गर्भ है या नहीं । गर्भ होने या न होने की परीक्षा कराना । पेट फुलाना या फुला देना = गर्भवती कर देना । पेट फूलना = गर्भ रह जाना । पेट रखना = गर्भवती कर देना । पेट रखाना = किसी से संभोग कराके गर्भवती होना । पेट रखवाना = (१) गर्भवती होना । (२) गर्भवती होने की प्रेरणा करना । पेट रहना = गर्भ स्थित होना । गर्भ रहना । हमल रहना । पेटवाली = गर्भ- वती । पेट से होना = गर्भवती होना ।
३. पेट के अंदर की वह थैली जिसमें खाद्य पदार्थ रहता और पचता है । पचौनी । ओझर ।
४. चक्की के पाटों का वह तल जो दोनों को जोड़ने से भीतर पड़े ।
५. सिल आदि का वह भाग जो कूटा हुआ और खुरदरा रहता है और जिसपर रखकर कोई चीज पीसी जाती है ।
६. अंतःकरण । मन । दिल । उ॰—चेटकी चवाइन के पेट की न पाई मैं ।—ठाकुर (शब्द॰) । मुहा॰—पेट में चूहे कूदना = दे॰ 'पेट में चूहे दौड़ना' । पेट में चूहे छूटना = दे॰ 'पेट में चूहे दौड़ना' । उ॰—एक प्यादा बोला यहाँ पेट में चूहे छूटे हुए हैं ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ १७६ । पेट में चूहे दौ़ड़ना = (१) बहुत भूख लगना । (२) व्याकुल या चिंतित होना । व्यग्रता या खलबली होना । पेट में घुसना = भेद लेने के लिये मित्र बनना । रहस्य जानने के लिये मेल बढ़ाना । पेट में चूहों का डंड पेलना = दे॰ 'पेट में चूहे दोड़ना' । उ॰—ख्वाब में डूबा चमकता हो सितारा । पेट में डंड पेलते चूहे, जबाँ पर लफ्ज प्यारा ।—कुकुर॰, पृ॰ ५ । पेट में छूरी घुसेड़ना = हत्या करना । जान लेना । उ॰—काम हो कान के उखेड़े जो, तो घुसेड़े न पेट में छूरी ।—चुभते॰, पृ॰ ५४ । पेट में डालना = (१) कोई बात अपने मन में रखना । भेद प्रकट न होने देना । उ॰—बात जो भेद डाल दे उसको, जो सकें डाल पेट में डालें ।—चुभते॰, पृ॰ ५३ । (२) भोजन का नाम करना । भोजन के रूप में कोई अत्यंत तुच्छ वस्तु लेना । (३) जल्दी जल्दी भोजन करना । शीघ्रता से खाना । (४) अरुचिपूर्वक खाना । बेस्वाद भोजन करना । पेट में बैठना या पैठना = दे॰ 'पेट में घुसना' । उ॰—जो चले काम पेट में पैठे, तो न तलवार पेट में डालें ।—चुभते॰, पृ॰ ५४ । पेट में भरा पड़ा रहना = मन में होना या रहना । उ॰—न जाने कहाँ का खटराग पेट में भरा पड़ा है ।—चुभते॰ (दो दो बातें), पृ॰ ६ । पेट में होना = मन में होना । ज्ञान में होना । जैसे, कोई बात पेट में होना ।
७. पोली वस्तु के बीच का या भीतरी भाग । किसी पदार्थ के अंदर का वह स्थान जिसमें कोई चीज भरी जा सके । जैसे, बड़े पेटे की बोतल ।
८. बंदूक या तोप में का वह स्थान जहाँ गोली या गोला भरा जाता है ।
९. गुंजाइश । समाई ।
१०. रोजी । जीविका । जैसे,—पेट के लिये सभी को कुछ न कुछ कान करना पड़ता है ।
पेट ^२ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ पेट] रोटी का वह पार्श्व जो पहले तवे पर डाला जाता है ।
पेट ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. थैला ।
२. पिटारा । संदूक ।
३. समूह । राशि । ढेर ।
४. उँगलियों के साथ खुली हुई हाथ की हथेली । थप्पड़ । झापड़ [को॰] ।