प्रबन्ध
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]प्रबंध संज्ञा पुं॰ [सं॰ प्रबन्ध]
१. प्रकृष्ट बंधन । बाँधने की डोरी आदि ।
२. बँधान । कई वस्तुओं या बातों का एक में ग्रंथन । योजना ।
३. पूर्वापर संगति । बँधा हुआ सिलसिला ।
४. एक दूसरे से संबंद्ध वाक्यरचना का विस्तार । लेख या अनेक संबंद्ध पद्यों में पूरा होनेवाला काव्य । निबंध । उ॰—दुर- जोधन अवतार नृप सत साँवत सकबंध । भारथ सम किय भुवन मँह ताते चंद्र प्रबंध ।—प॰ रासो, पृ॰ १ । विशेष—फुटकर पद्यों को प्रबंध नहीं कहते, प्रकिर्णक कहते हैं ।
५. आयोजन । उपाय ।
६. व्यवस्था । बंदोबस्त । इंतजाम । उ॰—इतै इंद्र अति कोह कै औरै किए प्रबंध । नँदनंदहु को लखत नहिं ऐसो मति को अंध ।—व्यास (शब्द॰) ।