फजर संज्ञा स्त्री॰ [अ॰] प्रातःकाल । सबेरा । उ॰—(क) मुझे आया जानै, जाया मानै दी ठिकाने रहि, फजर की गजर बजाऊँ तेरे पास मैं ।—सूदन (शब्द॰) । (ख) फजर उठि रैन की जागी । चलन दर मँजल को लागी ।—घट॰, पृ॰ ३३४ ।