बत्ती
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बत्ती ^१ संज्ञा स्त्री [सं॰ वर्ति वर्तिका, प्रा॰ बत्ति]
१. सूत,रूई,कपडे़ आदी की पतली छड़ । सलाई या चौडे़ फीते के आकार का टुकड़ा जो बट या बुनकर बनाया जाता है ओर जिसे तेल में डालकर दीप जलाते हैं । चिराग जलाने के लिये रूई या सूत का बटा हुआ लच्छा । यौ॰—अगरबत्ती । धूपबत्ती । मोमबत्ती । मुहा॰—बत्ती लगाना = जलती हुई बत्ती छुला देना । जलाना । आग लगाना । भस्म करना । संझाबत्ती = संध्या के समय दीपक जलाना ।
२. मोमबत्ती । मुहा॰—बत्ती चढा़ना = शमादान में मोमबत्ती लगाना ।
३. दीपक । चिराग । रोशनी । प्रकाश । मुहा॰—बत्ती दिखाना = उजाला करना । समने प्रकाश दिखाना । यौ॰—दियाबत्ती ।
४. लपेटा हूआ चीथड़ा जो किसी वस्तु में आग लगाने के लिये काम में लाया जाय । फलीता । पलीता ।
५. पलती छड़ या सलाई के आकार में लाई हूई कोई वस्तु । बत्ती की शकल की कोई चीज । जैसे, लाह की बत्ती, मुलेठी के सत की बत्ती, लपेटे हूए कागज की बत्ती ।
५. फूस का पूला जिसे मोटी, बत्ती के आकार में बाँधकर छाजन में लगाते हैं । मूठा । उ॰—अचरज बँगला एक बनाया । ऊपर नींव, तले घर छाया । बाँस न बत्ती बंधन घने । कहो सखी ! घर कैसे बने ।—(शब्द॰) ।
७. कपडे की वह लंबी धज्जी जो घाव में मवाद साफ करने के लिये भरते हैं । क्रि॰ प्र॰—देना ।
८. पगड़ी या चीरे का ऐंठा हूआ कपड़ा ।
९. कपडे़ के किनारे का वह भाग जो सीने के लिये मरोड़कर पकडा़ जाता है ।