बस
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बस ^१ वि॰ [फा॰] पर्याप्त । भरपूर । प्रयोजन के लिये पूरा ।
बस ^२ अव्य॰
१. पर्याप्त । काफी । अलम् ।
२. सिर्फ । केवल । इतना मात्र । जैसे,—बस, हमें और कुछ न चाहिए । उ॰—रचिए गुणगौरव पूर्ण ग्रंथ गण सारा । बस यही आपसे विनय विनीत हमारा ।—द्विवेदी (शब्द॰) ।
बस ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ वश] दे॰ 'वश' । क्रि॰ प्र॰—करना ।—कर लेना = वश में कर लेना । उ॰—हजूर, बिल्कुल बस में कर लिया ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ ४ ।
बस ^४ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ बास] सुवासित । उ॰—मधुर मालती के सिंगार सजि पहिरि बिसद बस बास ।—घनानंद, पृ॰ ४८२ ।
बस ^५ संज्ञा स्त्री॰ [अं॰] यात्रियों की सवारी गाड़ी । लारी । वह लंबी मोटर जिसपर लोग आवागमन करते हैं ।