बावड़ी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ बाप + हिं॰ ड़ी (प्रत्य॰)] १. वह चौड़ा औ र बड़ा कुआँ जिसमें उतरने के लिये सीढ़ियाँ होती हैं । बावली । २. छोटा तालाब । उ॰—क्या पोखर क्या कुआँ बावड़ी क्या खाइँ क्या कोर ।—कबीर श॰, भा॰ ३, पृ॰ ७३ ।