भूखा
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]भूखा ^१ वि॰ पुं॰ [हिं॰ भूख+आ (प्रत्य॰)] [स्त्री॰ भूखी]
१. जिसे भोजन की प्रबल इच्छा हो जिसे भूख लगी हो । क्षृधित । मुहा॰— भुखा रहना = निराहार रहना । भाजन न करना । भूखे प्यासे = बिना खाए पिए । बिना अन्न जल ग्रहण किए ।
२. जिसे किसी बात की इच्छा या चाह हो । चाहनेवाला । इच्छुक । जैसे,— हम तो प्रेम के भुखे है । उ॰— दानि जो चारि पदारथ को त्रिपुरारि तिहुँ पुर में सिर टीको । भोरो भलो भले भाय को भूखों भलोई कियो सुमिरे तुलसी को ।—तुलसी (शब्द॰) ।
३. जिसके पास खाने तक को न हो । दरिद्र । यौ॰— भूखा नगा ।
४. रिक्त । अभावपुर्ण । उ॰— क्या तुम अपने अकेलेपन में अपने को कभी कभी भूखा नहीं पाते ।— सूनीता, पृ॰ २७ ।
भूखा पु ^२ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ भूख] दे॰ 'भूख' । उ॰— कैसे सहब खिनहि खिन भूखा ।— जायसी ग्रं॰ (गुप्त), पृ॰ १२९ ।