मंजिल
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]मंजिल संज्ञा स्त्री॰ [अ॰]
१. यात्रा के मार्ग में ठहरने का स्थान । मुकाम । पड़ाव ।
२. वह स्थान जहाँ तक पहुँचना हो । गंतव्य स्थान । उ॰—ये सराइ दिन चारि मुकामा । रहना नहिं मंजिल को जाना ।—धरनी॰, पृ॰ ३०० ।
३. मकान का खंड । मरातिब ।
४. एक दिन को यात्रा । एक दिन का सफर ।
५. लंबी यात्रा । दूर का सफर (को॰) ।
६. यात्रा । सफर । उ॰—खर्चे की तदबीर करो तुम मंजिल लंबी जाना ।—कबीर सा॰, पृ॰ २ । मुहा—मंजिल उठाना = मकान बनाना । मंजिल भारी होना = यात्राकार्य कठिन होना । मंजिल मारना = यात्रा पूर्ण कर लेना । कठिनाई समाप्त होना । मंजिर्लो भागना = बहुत दूर रहना । उ॰—बस इस जूती पेजार से हम मंजिलों भागते हैं ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ ३ । यौ॰—मंजिलगाह = पड़ाव । यात्रा में उतरने की जगह । उ॰—यहाँ का सांप्रदायिक उत्पात मंजिल नामी दो भवर्नों के कारण आरंभ हुआ ।—भारत॰ नि॰, पृ॰ ६७ । मंजिले अव्वल = कब्र या श्मसान । मंजिले कमर = नक्षत्र । मंजिले मकसूद = आशय । उद्देश्य । लक्ष्य स्थान । मंजिले हस्ती = आयु । जीवनयात्रा ।