मीत संज्ञा पुं॰ [सं॰ मित्र, प्रा॰ मित्त] मित्र । दोस्त । उ॰— (क) मीत भै माँगा वेगि बिवानू । चाल सूर सँवरा अस्थानू ।—जायसी (शब्द॰) । (ख) हम हीं नर के मीत सदा साँचे हितकारी । इक हमहीं सँग जात तजत जब पितु सुत नारी ।—भारतेंदु (शब्द॰) ।