मुहर
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]मुहर ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ मोह] [फा़॰ मोहर] दे॰ 'मोहर' । उ॰—तुम कहँ दीन्ह जक्त कौ भारा । तुम्हारी मुहर चलै संसारा ।— कबीर सा॰, पृ॰ १०११ । यौ॰—मुहरकन = मुहर खोदनेवाला । मुहरवरदार = मुहर रखनेवाला अधिकारी । मुहा॰—मुहर करना । मुहर लगाना = प्रमाणित कर देना ।
मुहर पु ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ मुखर, प्रा॰ मुहर] वाचाल । मुखर । बकबादी । उ॰—लोहाना तौंबर अभंग मुहर सब्ब सामंत ।— पृ॰ रा॰, ४ ।१९ ।
मुहर पु † ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ मयूर, हिं॰ मोर] मोर । उ॰—कजा सूँ मुहर यक ऊपर आय कर । बहिश्त के कँगूरे ऊपर जाय कर ।—दाक्खनी॰, पृ॰ ३२८ ।
मुहर मुहर पु अव्य॰ [सं॰ मुहुर्मुहः] बारंबार । बार बार । उ॰—निकट निजल घट तर्ज मुहर मुहरं पति दरसी ।— पृ॰ रा॰, ६१ ।३७० ।