मोड़ना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]मोड़ना क्रि॰ स॰ [हिं॰ मुड़ना का प्रेर॰ रूप॰]
१. फेरना । लौटाना । संयो॰ क्रि॰—डालना ।—देना । मुहा॰—मुख मोड़ना, मुहँ मोड़ना = (१)किसी काम के करने में आनाकानी करना । आगा पीछा करना । रुकना । (२) विमुश होना । पराड़्मुख होना । उ॰—खान पान असनान भोग तजि मुख नहिं मोड़त ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ २३३ ।
२. किसी फैली हुई सतह का कुछ अंश समेटकर एक तह के ऊपर दूसरी तह करना । जैसे,—(क) चादर का कोना मोड़ दो । (ख) कागज किनारे पर मोड़ दो ।
३. किसी छड़ की सी सीधी वस्तु का कुछ अंश दूसरी ओर फेरना ।
४. दिशा परिव- र्तन करना । दिशा बदलना ।
५. धार भुयरी करना । कुंठित करना । जैसे, धार मोड़ना ।
मोड़ना तोड़ना क्रि॰ स॰ [हिं॰ मोड़ना + तोड़ना] नष्ट भ्रष्ट करना । काम लायक न रहने देना । नष्ट करना । मसलना । उ॰—अब तो मोड़ तोड़ तुम ड़ारा, राम राम कहों झूठ पसारा ।—घट॰, पृ॰ २२७ ।