यति
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]यति संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. वह जिसने इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर ली हो और जो संसार से विरक्त होकर मोक्ष प्राप्त करने का उद्योग करता हो । संन्यासी । त्यागी । योगी ।
२. भागवत के अनुसार ब्रह्मा के एक पुत्र का नाम ।
४. ब्रह्मचारी ।
५. विष्णु (को॰) ।
६. विश्वामित्र के एक पुत्र का नाम (को॰) । छप्पय के ६६ वें भेद कता नाम जिसमें ५ गुरु और १४२ लघु मात्राएँ अथवा किसी किसी के मत से ५ गुरु और १३६ लघु मात्राएँ होती हैं ।
यति संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. छंदों के चरणों में वह स्थान जहाँ पढ़ते समय, उनकी लय ठीक रखने के लिये, थोड़ा सा विश्राम होता है । विराति । विश्राम । राविम ।
२. दे॰ 'यती' ।