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राज्यांग

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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राज्यांग संज्ञा पुं॰ [सं॰ राज्याङ्ग] राज्य के साधक अंग जिन्हें प्रकृति भी कहते हैं । शास्त्रों में प्रधान प्रकृतियाँ सात मानी गई हैं । यथा— राजा, अमात्य, राष्ट्र, दुर्ग, कोष, बल और सुहृत् ।