लंब
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]लंब ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ लम्ब]
१. वह रेखा जो किसी दूसरी रेखा पर इस भाँति गिरे कि उसके साथ समकोण बनावे । क्रि॰ प्र॰—गिराना ।—डालना ।
२. एक राक्षस जिसे श्रीकृष्ण ने मारा था । इसी को प्रलंबासुर भी कहते हैं ।
३. शुद्ध राग का एक भेद ।
४. वह जो नाचता हो । नाचनेवाला ।
५. अंग ।
६. पति ।
७. एक दैत्य का नाम ।
८. एक मुनि का नाम ।
९. ज्योतिष में एक प्रकार की रेखा जो विपुव रेखा के समानांतर होती है ।
१०. ज्योतिष में ग्रहों की एक प्रकार की गति ।
११. उत्कोच । भेंट । रिश्वत (को॰) ।
लंब ^२ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰] दे॰ 'विलंब' ।
लंब ^३ वि॰ [सं॰]
१. लंबा । उ॰—(क) युक अवलंब लंब भुज चारी ।—रघुनाथ (शब्द॰) । (ख) अस कहि लब फरस बिछ- बायो ।—रघुराज (शब्द॰) ।
२. बड़ा (को॰) ।
३. लटकता हुआ । अवलबित । संलग्न । लगा हुआ (को॰) ।
५. विस्तृत । फैलावदार । प्रशस्त (को॰) ।