लग्न
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]लग्न ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. ज्योतिष में दिन का उतना अंश, जितने में किसी एक राशि का उदय रहता है । विशेष—पृथ्वीं दिन रात में एक बार अपनी धुरी पर घुमती है; और इस बीच में वह एक बार भेष आदि बारह राशियों को पार रपती है । जितने समय तक वह एक राशि में रहती है, उतने समय तक उस राशि का लग्न कहलाता है । किसी राशि में उसे कुछ कम समय लगता है और किसी में अधिक । जैसे,—मीन राशि में प्रायः पौने चार दंड, कन्या में प्रायः साढे पाँच दंड, और वृश्रिक में प्रायः पौने छह दंड । लग्न का विचार प्रायः बालक की जन्मपत्री बनाने, किसी प्रकार का मुहूर्त निकालने अथवा प्रश्न का उत्तर देने में होता है ।
२. ज्योतिष के अनुसार कोई शुभ कार्य करने का मुहूर्त ।
३. विवाह का समय । उ॰—अकहि लग्न सबहि कर पकरेउ, एक मुहूर्त बियाहे ।—सूर (शब्द॰) ।
४. विवाह । शादी ।
५. विवाह के दिन । सहालग ।
६. वह जो राजाओं की स्तुति करता हो । वंदीजन । सूत ।
७. मत्त द्विप । मस्त हाथी (को॰) ।
८. बारह की संख्या क्योंकि लग्न बारह होते हें ।
९. शिव । शुभ । भद्र (को॰) ।
लग्न ^२ वि॰
१. लगा हुआ । मिला हुआ ।
२. लज्जित । शरमिंदा ।
३. आसक्त ।
लग्न ^३ संज्ञा पुं॰ [फा़॰ लगन] दे॰ 'लगन' ।
लग्न ^४ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ लगना] दे॰ 'लगन' ।