लड़खड़ाना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]लड़खड़ाना क्रि॰ अ॰ [सं॰ लड़ (= डोलना) + खड़ा (या अनुरणनात्मक)]
१. न जमने या न ठहरने के कारण इधर उधर हिल डोल जाना । पूर्ण रूप से स्थित न रहने के कारण खड़ा न रह सकना, इधर उधर झुक पड़ना । झोका खाना । डगमगाना । डिगना । जैसे,—पैर लड़खड़ाना, आदमी का लड़खड़ाकर गिरना । संयो॰ क्रि॰—जाना ।
२. डगमगाकर गिरना । झोंका खाकर नीचे आ जाना ।
३. ठीक तौर से न चलना । अपनी क्रिया में ठीक न रहना । विचलित होना । च्युत होना । चूकना । जैसे,—कोई चीज उठाने में उसका हाथ लड़खड़ाता है । मुहा॰—जीभ लड़खड़ाना = (१) ठीक ठीक या पूरे शब्द और वाक्य मुँह से न निकलना । मुँह से स्पष्ट शब्द न निकलना । टूटे फूटे शब्द या वाक्य निकलना । (२) मुँह से रुक रुककर शब्द निकलना ।