लपेटना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]लपेटना क्रि॰ स॰ [सं॰ लिप्त, हिं॰ लिपटना]
१. किसी सूत, डोरी या कपड़े की सी वस्तु को दूसरी वस्तु के चारों ओर घूमाकर बाँधना । घुमाव या फेरे के साथ चारो ओर फँसाना । चक्कर देकर चारों ओर ले जाना । जैसे,— (क) इस लकड़ी में तार लपेट दो । (ख) छड़ी में कपड़ा लपेटा हुआ है । संयो॰ क्रि॰—देना ।—लेना ।
२. सूत, डोरी या कपड़े की सी वस्तु चारो ओर ले जाकर घेरना । परिवेष्ठित क न । जैसे,— इस डंडें को कपड़ें से लपेट दो ।
३. डोरी, सूत या कपड़े की सी फैली हुई वस्तु को तह पर तह मोड़ते या घुमाते हुए सकुचित करना । फैली हुई वस्तु को लच्छे या गट्ठर के रुप में करना । समेटना । जैसे,— (क) कपड़े का थान लपेटकर रख दो । (ख) तागा लपेटकर रख दो ।
४. मोड़े हुए कपड़े आदि के अंदर करके बंद करना । कपड़े आदि के अंदर वाँधना । जैसे,— पुस्तक लपेटकर रख दो ।
५. हाथ पैर आदि अंगों को चारों ओर सटाकर घेरे में करना । पकड में कर लेना । जैसे,— (क) उसे देखते ही उसने हाथों से लपेट लिया । (ख) अजगर ने शेर को चारों ओर से लपेट लिया ।
६. ऐसी स्थिति में करना कि कुछ करने न पावे । गति विधि बंद करना । चारों ओर से चाल रोकना । जैसे,— तुमने तो उसे चारो ओर से ऐसा लपेटा है कि वह कुछ कर ही नहीं सकता ।
७. पकड़ में लाना । काबू में करना । रसना । उ॰— जिमि करि निकल दलै मृगराजू । लेइ लषेहि लवा जिमि बाजू । — तुलसी (शब्द॰) ।
८. उलझन में डालना । झंझट में फँसाना ।
९. गीली गाढ़ी वस्तु पोतना । लेपन करना । जैसे,—वह बदन में कीचड़ लपेटे आ पुहुँचा । विशेष— यद्य 'लिपटाना' और 'लपेटना' दोनो सकर्मक क्रियाएँ 'लिपटना' ही से बनी हैं, पर दोनों के प्रयोगों मे अंतर है । 'लिपटाना' में संलग्न करने या सटाने का भाव प्रधान है । इसी से 'छाती से लिपटाना', 'वदन में रुई लिपटाना' आदि बोलते हैं । 'लपेटना' में घुमाकर या मोड़कर थेरने का भाव प्रधान है । इसी से 'डोरा लपेटना', 'कपड़ा लपेटना' आदि बोलते हैं ।