लाट
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]लाट ^१ संज्ञा पुं॰ [अं॰ लार्ड]
१. किसी प्रांत या देश का सबसे बड़ा शासक । गवर्नर ।
लाट ^२ संज्ञा पुं॰ [अं॰ लाँट] बहुत सी चीजों का वह विभाग या समूह जो एक ही साथ रखा, बेचा या नीलाम किया जाय । यौ॰—लाटवंदी ।
लाट ^३ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ लट्ठा ?] लकड़ी, पत्थर या किसी घातु का बना हुआ मोटा और ऊँचा खँभा । जैसे,—अशोक की लाट, कुतुब साहब की लाट, तालाब के बीच में की लाट, कोल्हू के बीच की लाट, आदि ।
लाट ^४ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. एक प्राचीन देश जहाँ अब भड़ौच, अह- मदाबाद आदि नगर है । गुजरात का एक भाग ।
२. इस देश के निवासी ।
३. एक अनुप्रास जिसमें शब्द ओर अर्थ एक ही होते हैं, पर अन्वय में हेरफेर होने से वाक्यार्थ में भेद हो जाता है । ('शाब्दस्तु लाटानुप्रासी भेदे तात्पर्य मात्रतः ।'—मम्मट, काव्यप्रकाश) ।
४. वह लंबा बाँध जो किसी मैदान के पानी के बहाव को रोकने के लिये बनाया जाता है ।
५. फटा पुराना कपड़ा या गहना (को॰) ।
६. कपड़ा । वस्त्र (को॰) ।
७. बालकों जैसी भाषा (को॰) ।
८. शिक्षित व्यक्ति (को॰) ।